Download from here
Month: October 2016
विद्यापाति आ गोविन्द दासक कविक रुपमे तुलना
सीवील परिक्षा निकट अछि त’ समयावधिक कारण टाइप नहि करि पाय रहल अछि। मुदा समय पर अपडेट करब अति आवश्यक त’ हस्तलिखित प्रति अपलोड करैत अछि।
विद्यापति भक्त कवि छथि वा श्रृगारिक कवि ?
सीवील परिक्षा निकट अछि त’ समयावधिक कारण टाइप नहि करि पाय रहल अछि। मुदा समय पर अपडेट करब अति आवश्यक त’ हस्तलिखित प्रति अपलोड करैत अछि।
The smallest deed is better than the greatest intention. – John Burroughs
It’s easy to talk but difficult to act. It’s easy to advice but difficult to follow. It’s easy to criticize but difficult to amend. We can make grand plans, but unless implemented on ground they mean nothing. It has no value, none benefits.
From the point of entrepreneurship, a person may have grand plans. He may think he has the best idea. He can change the world, bringing fame and money to him. But the fear of unknown, leaving a comfortable life, uncertain future, moving into uncharted waters holds him back. This grand idea of his dies a silent death.
Once an interviewer asked Edison how does it feel to fail thousand times to finally arrive at tungsten as the right filament material for electrical bulb. Edison replied he didn’t failed. He now knows thousand ways to not make filament. Edison took the risk, tried and failed. Acted. Failed again. What would have happened if Edison had never tried, always made plans in head. Plausibly world may have to wait much longer for an electric bulb and continued sitting under a lamp.
An idea not acted is like a stillborn child, which had a lot of potential but never realized it.
मैथिलीमे निंबध
ब्रिटिशकालमे नवीन स्वतंत्र साहित्यिक गद्य विधाक रुपमे निबंधक जन्म भेल। निबंध गद्यक अोहि विधाकेँ कहल जाइत अछि जाहिमे लेखक कोनो विषय पर स्वच्छन्दतापूर्वक मुदा एकटा विशेष सोषठव, सहिति, सजीवता एवं वैयक्तिकताक संग अपन भाव, विचार एवं अनुभवकेँ व्यक्त करैत छथि। निबंधक विकासमे पत्र-पत्रिकाक विशेष योगदान रहल। मैथिल हित साधन, मिथिला मोद, मिहिर सन पत्र-पत्रिका एकटा ठोस धरातल प्रदान कयल। एकर अतिरिक्त मैथिली अकादमी, चेतना समिति,साहित्य अकादमी अादि संस्थानक विशेष योगदान अछि। प० मुरलीधर झा, हरि नारायण झा, त्रिलोचन झा अादि एहि कालक उल्लेखनीय निंबधकार अछि। एहि कालमे समसामयिक विषय एवं समस्याकेँ प्राथमिकता प्रदान कयल गेल। निंबधक उद्देश्य नैतिक अार्दशक स्थापना, मातृभाषाक प्रसार, जातीय गौरवक ग्यान प्रसारण रहल।
स्वतंत्रताक बाद निंबधमे परिपुर्णता अा परिपक्वता देखल जाय सकैत अछि। स्वतंत्रताकपुर्वक अपेक्षा अालोच्यकालमे निबंधक कथ्य एवं शिल्पमे वस्तुतः महान परिवर्तन देखल जाइत अछि। निबंधक सम्पदाकेँ एना वर्गीकृत कयल जा सकैत अछि।
1. वर्णात्मक – वसन्तक आगमान (म०म० डाॅ० उमेश म्रिश्र)
2. विचारात्मक – मैथिली नाटक: दशा दिशा (सुधाशु शेखर चोधरी)
3.व्यक्तिगत – पृथ्वी ते पात्रं (यात्री)
4.लोक तात्विक – दीनाभद्री, सलहेस (मणिपद्म)
5.भावात्मक – अभिलाशा ( मनमोहन झा)
6.हास्य व्यंग्य प्रधान – खट्टर ककाक तरंग (हरिमोहन झा)
7.सामयिक – बंगलादेश अौ मैथिली कवि (डाॅ० दिनेश कुमार झा)
समाज, संस्कृति,धर्म, शिक्षा, साहित्य एवं राजनीति अादि समस्त विषय निबंधकार लोकनिक विवेचनाक क्षेत्र बनल आ मैथिली साहित्यवृद्धिमे सहायक भेल।