आज सब कुछ जीत कर भी क्यों हार लग रही है
शायद आज तू मेरे बगल में नहीं है इसलिए।
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खत लिखा था
खत लिखा था की समझा पाउँगा
टूटे रिश्ते फिर जोड़ लूंगा
पर भूल गया काग़ज काग़ज होता है ।
नंबर डॉयल करने से डर लगता है
नंबर डॉयल करने से डर लगता है
क्या पता जवाब आएगा की नहीं
इसलिए गुमनाम रहना ही पसंद करता हूँ|
हमसे रूठो न इस तरह
हमसे रूठो न इस तरह |
हम खुद ही तुम्हारा शहर छोड़ जायेंगे|
तितली की तरह
तितली की तरह आयी जिंदगी बाग़ कर गयी ।
जितने थे मेरे नापाक इरादे उनको भी पाक कर गयी ।