नॉन रेजिडेंट बिहारी – शशिकांत मिश्र [Book Review]

non resident bihariउपन्यास का मुख्य पात्र राहुल है जो सिविल सर्विसेज की तैयारी करने कटिहार छोड़ दिल्ली में मुखर्जीनगर में है। उपन्यास में दो मुख्य धारा है । एक ओर सिविल सर्विसेज की तैयारी में संगर्षरत एक युवक की कहानी है जहा हर एटेम्पट की विफलता के बाद परीक्षार्थी की मनोदशा का चित्रण है तो दूसरी और उसकी प्रेमिका शालू के संग प्रेम कथा है जो प्रारम्भ में तोह उपन्यास की गौण कथा प्रतीत होती है मुदा बाद में उपन्यास की मुख्य कथा के रूप में प्रस्तुत होती है।
उपन्यास का वातावरण समकालीन है । आज के युवक में सरकारी परीक्षा के लिए संगर्ष; आपस में मजाक, एक दूसरे की टांग खीचना; प्रेम सम्बन्ध ; प्रेम विवाह में अड़चने आदि विषयो का सजीव चित्रण है । राहुल का दोस्त संजय राहुल का समय समय पर उसका मार्गदर्शन और मदद करता है और एक सुदृढ़ पात्र के रूप में स्थापित होता है। कभी कभी तो संजय का पात्र राहुल से भी बड़ा प्रतीत होता है । संजय का पात्र भी मजाकिया है जो उपन्यास मैं हास्य रस की धारा को प्रवाहित करता है ।
उपन्यास के द्वारा सामाजिक सन्देश देने का भी प्रयास किया गया है । लेकिन सिर्फ उसका अंदेशा देकर छोड़ दिया गया है तो यह उपन्यास की त्रुटि है । राहुल और भगवान के बीच संवाद से युवावस्था में दिमाग और दिल के बीच संगर्ष का निवारण का प्रयास किया गया है परन्तु संतोषजनक ट्रीटमेंट नहीं हो पाया है ।
उपन्यास के नाम की सार्थकता भी प्रमाणित नहीं हुई है । उपन्यास के मुख्य पात्र बिहारी है , सिर्फ इस आधार पर नान रेजिडेंट बिहारी का तमगा दे देना उचित नहीं प्रतीत होता । यह उपन्यास भारत के किसी भी प्रान्त के युवक की कहानी हो सकती है।
भाषा के दृष्टिकोण से उपन्यास की भाषा सरल सहज और सरवबोधगम्य है। आम बोल चाल की भाषा का प्रयोग किया गया है, अंग्रेजी शब्दों का भी प्रयोग हुआ है जिस कारण से उपन्यास भोजिल नहीं होता ।
निष्कर्षत : “नॉन रेजिडेंट बिहारी” उपन्यास आज के समय के युवा की सत्य कथा है । करियर और प्रेम के बीच संगर्ष में झुझता युवक वा उसके मार्ग में आने वाली अनेक मुश्किलो का दर्पण इस उपन्यास में है । उपन्यास समकालीन और रोचक है और उपन्यास में प्रस्तुत हास्य तत्व पाठक को बांधे रखता है और मुख पर अनायास मुस्कराहट आ जाती है ।

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